दंतेवाड़ा सम्मेलन के पहले श्री शर्मा ने मुझसे कहा था कि झगड़ा समाप्त कर एक हो जाते हैं। इससे साथियों का नुकसान हो रहा है। मैंने उनसे जवाब दिया था कि हम अपने पंजीकृत संगठन के माध्यम से साथियों को लाभ पहुंचाने का काम करते हैं हमें कोई झगड़ा झंझट से लेना-देना नहीं है।हमारे संघ के नाम का दूरपयोग कर, फर्जीवाड़ा आपके द्वारा किया जा रहा है अगर आपको साथियों से कुछ कहना है तो साधारण सभा में आकर अपनी बात रखें जो सदस्यों का जनादेश होगा हम सब को मान्य होगा, मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसे घटिया सोच वाले व्यक्ति को कभी भी संघ का अध्यक्ष तो बहुत दूर सदस्य भी नहीं बनाना चाहूगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. श्री के विक्रम राव व राष्ट्रीय महासचिव श्री परमानंद पाण्डेय के खिलाफ भी श्री शर्मा अनर्गल दोषा रोपण कर रहे है जबकि उनके द्वारा नियुक्त करने के कारण समाज में पहचान मिली, शर्मा के गलत कार्यों के कारण ढेरों शिकायतें राष्ट्रीय कार्यालय को लगातार मिल रही थी । राष्ट्रीय अध्यक्ष सरल व सैद्धांतिक स्वभाव व स्वच्छ छवि के व्यक्ति हैं। उनको फर्जी काम पसंद नहीं आया इसीलिए निकाल दिये , जिससे विचलित होकर ये सब हरकतें कर रहे हैं। जबकि 2 वर्ष का श्री शर्मा कार्यकाल पूरा हो चुका था और कायदे से उस यूनिट का भी चुनाव होना चाहिएथा।लेकिन कुर्सी का खतरा भाप चुनाव कराने के बजाय नाटक करते फिर रहे है , शर्मा के फर्जी कामों से राष्ट्रिय अध्यक्ष इतने नाराज थे की ३० नव. कोधर्मशाला [हिमाचल ] सम्मेलन में बिन बुलाये पहुंचे शर्मा को भगा दिए,
दंतेवाडा सम्मेलन के निर्णय के अनुसार अपने साथियों के साथ राष्ट्रिय अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव से मिलकर संघ को सम्बद्धता प्रदान करने आग्रह किये ,सही वस्तु स्थिति जानकर, अध्यक्ष जी धर्मशाला की बैठक में सम्बद्धता देने के लिए कहा था , और उक्त बैठक में संघ को सम्बद्धता प्रदान कर दी गई ,जिसका पत्र मुझे ८ दिस . को दिया गया और उनके गठित cwju को भंग कर दी गई, पत्र में राष्ट्रिय महासचिव ने प्रति सदस्य 40 रुपए का कोटामनी राष्ट्रीय इकाई को देने की बात कही। संघ की पंजी में 2053 सदस्य संख्या दर्ज है लेकिन दिनांक 1.12.09 तक 400 सदस्यों ने सदस्यता का नवनीकरण कराया था जिसके कारण राष्ट्रीय कार्यालय को सिर्फ 16 हजार का धनादेश दिया गया। इसके अलावा हमसे कोई भी रुपए राष्ट्रीय पदाधिकारियों के द्वारा नहीं मांगी गई। उनके विरूद्ध श्री शर्मा द्वारा अनर्गल प्रचार कियाजा रहा। श्री शर्मा का निष्कासन 30 नवंबर 2009 को ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कर दिया था , जिसके समाचार प्रकाशित होते ही 12 दिसंबर 2009 को श्री शर्मा द्वारा बयान जारी किया गया कि हमारा आईएफडब्लू जे से कोई लेना-देना नहीं है। यह भी एक हास्यास्पद बयान है। जिन्होंने श्री शर्मा को नियुक्त किया था उनको हटाने का भी पूरा अधिकार है और उनके इस निर्णय के बाद सीडब्लूजे नामक कोई संस्था ही नहीं रह जाती। प्रदेश में सिर्फ एक मात्र पंजीकृत संगठन छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ है। जिसका अंग्रेजी अनुवाद लिखकर शर्मा फर्जीवाडा कर रहे है जिसकी शिकायत पुलिश विभाग से की जा चुकी है
जिस साथी के समर्थन में श्री शर्मा ने 2 साल पहले आंदोलन किया। उसी के ऊपर अनर्गल आरोप लगा कर अपनी ओछी मानसिकता प्रस्तुत कर रहे हैं, चूंकि श्री साई रेड्डी उनके अवैध वसूली में साथ देने से मना कर दिए इसलिये उनके विरूद्ध झूठा प्रचार कर रहे हैं।आज जो साथी संगठन के मुख्य आधार है किसी सैद्धांतिक मतभेद के कारण संघ से हो जाने के बाद उनके ऊपर गंदे आरोप लगाना सिर्फ गन्दी मानसिकता का प्रतिक है
मैंने संघ की दुरभाष निदेशिका में 2000 सदस्यता की जानकारी दी है, आज की तारीख में संघ के 2053 सदस्य सदस्यता पंजी में दर्ज है। जिनके नंबर उपलब्ध हो पाया, प्रकाशित किया गया। इसलिये डायरेक्ट्री में संख्या कम दिख रही है,अगले अंक में छूटे हुए सदस्यों के नंबर जोड़े जाएंगे। इस बात को भी लेकर झूठा प्रचार प्रसार किया जा रहा है। पत्रकारों के लिये जनसंपर्क द्वारा (छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ के नाम पर दिया गया यात्रा सुविधा) दिये गये यात्रा सुविधा का दुरुपयोग कर अपने व अपने मित्र, पुत्री को भ्रमण कराया गया, क्या शर्मा पत्रकारों के हितचिंतक है। संघ द्वारा प्रत्येक सदस्य का 1 लाख का बीमा कराया जाता है। श्री नारायण शर्मा प्रदेश में घूम-घूमकर सदस्यता वसूल करते रहे। 2 वर्ष के सदस्यता का हिसाब बताये? साथ ही यह बताएं कि उस वसूले रकम से उन्होंने किस साथी को क्या लाभ पहुंचाया है ।
प्रदेश के ९५% पत्रकार साथी छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ से जुड़े हुए है ,इसका लाभ लेने के लिए शर्मा षड्यंत्र करके अपने आप को संघ का अध्यक्ष लिखने लगे ,जिससे कुछ साथी भ्रमित होकर जुड़ गए थे जबकि उक्त व्यक्ति हमारे संघ का सदस्य ही नहीं है , अगर संघ का पंजीयन आई ऍफ़ डब्लू जे की इकाई के रूप में किया भी गया हो तो भी संघ का अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं किया जा सकता ,कतिपय कारणों से ifwj ने अलग इकाई प्रदेश में गठित की जिसका नाम cfwj हो सकता था लेकिन संघ के नाम का लाभ लेने के लिए उक्त ब्यक्ति के द्वारा षड्यंत्रों के तहत २साल से संघ के नाम का दुरूपयोग किया जा रहा है बेशर्मी की हद हो गई अब भी अपने आप को संघ का अध्यक्ष बता रहे है जबकि ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत पंजीकृत प्रदेश में एक मात्र संघ है , छत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ [ छ .श्र प स .] जिसका अंग्रेजी नाम[chhattisgarh working journanists union ] cwju है ,उक्त ब्यक्ति का कोई व्यक्तिगत पहचान नहीं है संघ के अध्यक्ष पद का दबदबा बताकर कार्य करते रहें अचानक पदमुक्त हो जाने से विचलित होकर अनर्गल प्रलाप व साथियों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं इनकी जितनी निंदा की जाए कम है ।साथियों को अईसे फर्जी वाड़ा से सावधान रहना होगा
उस ब्यक्ति को क्या कहेंगे जो जवान होते ही अपने बाप को फर्जी कहे ....... .............'पागल' ?
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