अंध श्रद्धा

अंध श्रद्धा के नाम पर लोग नेतागिरी की दुकान चला रहे है .जबकि मेरे विचार में तो ये शब्द ही भ्रामक है .श्रद्धा कभी अंधी हो ही नहीं सकती .जब तक आदमी देख नहीं लेता तब तक किसी धार्मिक स्थान, वस्तु,शक्ति ,पुरुष पर भरोसा नहीं करता ,जैसे .कुछ वर्ष पहले किसी एक आदमी ने मूर्ति को दूध पिलाया समाचार प्रसारित हुई कई शहरो में हजारो लोगो ने दूध पिलाया ,ऐसे ही कोई न कोई चमत्कारिक घटनाओ के कारण मंदिरों मूर्तियों पर लोगो का विश्वाश होता है. प्रकृति अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसे चमत्कार करते रहती है
गंगा का जल क्यों ख़राब नहीं होता ,आज के वैज्ञानिक कहते है की जहा से गंगा निकलती है वहा रासायनिक वस्तु है जिसके कारन गंगा जल ख़राब नहीं होता ,लेकिन वहा से तो यमुना सहित कई नदिया निकलती है ,उनका जल क्यों ख़राब होता है ........ दिया ..जहा तक प्रकाशित करता है वहा तक तो सभी को दिखता है उसके बाद की दुनिया क्या है.? जानो ......तो...... माने,
माँ ज्याला की ज्योति हजारो साल से उसी लोउ से प्रज्वलित है ,लाख कोशिश के बाद अकबर भी नहीं बुझा पाया
उज्जैन में कालभैरव रोज सैकड़ो लीटर शराब पि जाते है ................कई मूर्तियों के रंग बदलते है
ऐसे ही कई घटनाये हमारे आसपास हो रही है
ये अलग बात है की कुछ ठग लोगो के कारन समाज दिशा से अलग होने लगती है इनसे सजग रहने की जरुरत है
इसमें भी गलती हमारी हँ,झूठे चमत्कार के चक्कर में फँस जाते है जबकि इतिहाश गवाह है भगवान को पाने के लिए मन्त्र तंत्र आवश्यक नहीं है प्रेम श्रद्धा विश्वाश से भगवान मिलते है सबरी, गिद्ध ,अजामिल ,जटायु सदन कसाई, गणिका ,कुब्जा ,बिना मन्त्र के भगवान को पा लिए
कुछ जादा पा लेने के चक्कर में ऐसी गलतिया कर लेते है जबकि "समय से पहले .किस्मत से जादा कीसी को कुछ नहीं मिल सकता "
अपने इष्ट को प्रशन्न करने वैदिक कार्यो के लिए गुरु का सहारा जरुर लेना चाहिए.. लेकिन उसके लिए भी शाश्त्र निर्देशित करते है की पूरी परीक्षा के बाद ही कीसी का वैदिक रीती से शिष्य बने "गुरु हो तो ..मतंग मुनि जैसा जो खुद तो श्री राम का दर्शन नहीं कर सके लेकिन अपनी शिष्या{ सबरी ] को श्री राम से मिलने लायक बना दिए ,, हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए नेतागिरी करना है तो बहुत सारी कमिया है जैसे हमारे देवी देवताओ के चित्रों का उपयोग उत्पादों को बेचने में किया जा रहा है बाद में वही कागज गन्दी नालियों में पड़े मिलते है ,कभी रावण को दर्द की दवाई के , कही महरानी द्रोपदी को ,कही कीसी अन्य देवी देवताओ को विज्ञापनों में अमर्यादित ढंग से दिखाया जा रहा है इसे रोकने पहल किया जाना चाहिए