सत्य की जीत हुई

फर्जीवाडा का पर्दा फाश हो जाने के कारन नारायण शर्मा अपना दिमागी संतुलन खो बैठा है ,और पागलो जैसा हरकत कर रहा है ,छत्तीसगढ़ शाशन द्वारा बनाई गई मानिटरिंग कमेटी में फर्जी लेटर पेड़ के सहारे सदस्य बन गया था जिस पर हमने आपत्ति की ,लगभग १८ माह श्रम विभाग द्वारा जाँच पड़ताल की गई ,,सच्चाई सामने ,,आ गई जिससे नारायण शर्मा को फर्जी मानते हुए हटा दिया गया जिसके कारन तिलमिला कर छिनारी विद्या कर रहा है दुसरे के संघठन के सम्बन्ध में भ्रम फ़ैलाने के बजाय,अपनी वास्तविकता सार्वजनिक करे नारारायण शर्मा,नामक कोई भी ब्यक्ति श्रमजीवी पत्रकार संघ का कभी सदस्य भी नहीं था ,,फर्जी लेटर पेड़ छाप कर झुटा प्रचारित करते रहा ,,इसके इसी आदत के कारन ifwj
ने निकाला ,,अब तो छत्तीसगढ़ शाशन ने भी मान लिया की नारायण शर्मा फर्जी है ,,अब अपने आप को cwju का अध्यक्ष लिखता है ,ये भी फर्जी है अगर ये सच्चा इन्सान है तो cwju का पंजीयन दिखाए ,३ साल में सदस्यों से लाखो रूपये लिया उसका हिसाब बताये ,,श्रम विभाग में इस नाम का कोई पंजीयन नहीं हसी ,,और इस फर्जीवाडा के कारन इसका एक ४२० में जेल जाना तय है ,,ये अपराधिक प्र्वाव्त्ति का आदमी है दिल्ली में माँ झंडे वाली मंदिर के पास किसी ऑफिस में चपराशी था चोरी करते पकडे जाने के कारन भगा दिए ,,वीर अर्जुन की मात्र ६० प्रति पुरे cg आता है < पावती सलग्न > जिस पत्रिका में छाप कर २ साल अवेध धंधा किया आज कल इनके पत्नी के नाम से आ रही है ,,अपने नाम से एक पत्रिका और मांगता है इन तीनो की गिनती की प्रति को cg से विज्ञापन दिलाने का दलाली करता है ,,पोलिश की मुखबिरी के सहारे जीने खाने वाला पोलिश विभाग के खिलाफ गलत सलत प्रचारित कर नमक हरामी करने में लगा हुआ है जिस ifwj ने इसको जन्म दिया उसी के खिलाफ उल्टा सीधा प्रचारित करता है ,,अपने अन्दर झाख कर देखे की उसका क्या परिचय है ,,मै तो मालगुजार खानदान से हु मेरे पारिवारिक पृष्ट भूमि पुरे प्रदेश के लोग जानते है संघ के काम के साथ साथ ,,journlisom करने के लिए अपने संपादक से १ घंटे काम करने का ५२०० लेता हु लेकिन आज भी मेरे घर में फर्जी शर्मा जैसे ५ लोग नोकरी करते है < झाड़ू पोंछा , ,कपडा धोने ,खेत में काम करने घर में चपरासी >हमारा संघ एक पंजीकृत संघ है जिसका हिसाब किताब ,,रखा जाता है ,,और ये चोरी पकडे जाने के डर से पंजीयन करने के बजाय फर्जी संघ चला रहा है ,<पंजीयन की प्रति ,इ फार्म की प्रति ,,श्रम विभाग के पत्र की प्रति >८ dec को संघ को सम्बध्धता मिली महज २३ दिन के सदस्यता का ४०० लोगो का फीस ifwj को दिया गया ,,सविंधान में २ साल तक सदस्यता का हवाला है इसलिए कुछ तकनिकी कारणों से हमेशा सदस्य संख्या तो बड़ते रहती है लेकिन हर साल फीस देने वालो की संख्या काम जाता होते रहती है ,राजनांद गाव ,दुर्ग में ५ लोगो के ऊपर संघ्ता कारवाही कर रही है ये भी हमारे बिच की बात है इसको भ्रमित तरीके से प्रचारित करने के बजाये फर्जी शर्मा अपने संघ व अपने बारे में बताये चोरी करना ,झूठ बोलना ,चंदा उगाही .ब्लेक मेल .फर्जीवाडा करना ये सब फर्जी शर्मा का काम है हमको इसकी जरुरत नहीं है ऐसे फर्जी आदमी से साथियों को सावधान रहना चाहिए ,,जिनको धोखा देकर ये cwju का सदस्य बना रहा है उनसे आग्रह है की इससे cwju का पंजीयन मांगे ,,क्युकी ये तो फर्जीवाडा ४२० में जेल जायगा ही उनको भी गलत जानकारी दे कर उनका misuse कर रहा है

शहादत पर नेतागिरी बंद कंरे

शहादत पर नेतागिरी बंद करे
नक्सलवाद कोई मुद्दा नहीं है जिस पर नेतागिरी किया जाये ,ये मानवता को कलंकित करने वाला आतंक वाद है इसका मुकाबला करने सरकार के साथ पुरे समाज को सहयोग करना होगा ,,कहा जाता है की डायन भी ७ घर छोड़ देती है ,लेकिन..... ये नेता ये भी नहीं देखते की कौन सा मुद्दा है ,,सैकड़ो जवान काल के भेंट चड़ गए ,सैकड़ो मांगे सुनी हो गई ,बच्चे अनाथ हो गए ,बुजुर्गो का सहारा छीन गया ,हर बड़ी घटना के बाद रटा हुआ बयान दोहराया जाता है चुक हो गई ,,आखिर आपके चुक की खामियाजा हमारे जवान कब तक भोगेंगे ,घटना के बाद तुरंत उस चुक को क्यों नहीं सुधारा जाता ,घटना के २;४ दिन खूब हो हल्ला मचाया जाता है सरकारी तंत्र सक्रीय हो जाता है एक से बड कर एक बयान बाजी बड़ा अधिकारी स्थल निरिक्षण कर जायजा लेगे ,दोसी दण्डित किया जायेगा ;;न तो आज तक कोई चुक उजागर हुई न कोई दण्डित हुआ ,,कुछ दिन बाद सब सामान्य हो जाता है फिर जब कोई घटना घटती है तब फिर यही बाते दोहराई जाती है ,,कब तक ये तमाशा चलेगा इसका जवाब किसी के पास अब तक तो नहीं है .विपक्ष का एक ही काम है स्तीफा मांगना और बंद करना .जो कतई इस आंतकवाद का हल हो नहीं सकता हा जरुर ये करके विपक्ष अपनी जिम्मेदारी निभाने का ढोंग कर जनता के सामने हीरो बनने का सवांग रच सकती है ,जबकि बंद करने से किसी का भला नहीं होता आपने बंद कराने की घोषणा कर दी कुछ नेता ac कार में बैठ कर शहर भ्रमण किये ,और ac शयन कक्ष में जा कर सो गए ,,लेकिन उसका खामियाजा उस गरीब को जो दिन भर ,चाय ,पान,सब्जी, बेचकर ,रिक्शा ,ठेला , चलाकर मजदूरी करके अपने परिवार का पेट भरता है उसको भुगतना पड़ता है ,हो सकता है उस दिन उसके परिवार को खाना नशीब न हो ,कुछ करना है तो उस चुक का हल ढूढ़ कर सरकार के नुमायन्दो को उनका उसली चेहरा दिखाए ,आपके केंद्र के सरकार को जगाये ,क्युकी ये अब पुरे देश की समस्या है गृह युद्ध की स्तिथि निर्मित हो चुकी है केवल राज्य सरकार अकेले नहीं लड़ सकती ,इस युद्ध के लिए इक्षा शक्ति की आवश्यकता है ,राज्य सरकार के पास इक्षा तो है पर शक्ति नहीं है ,केंद्र के पास शक्ति है पर इक्षा नहीं दिखती,केंद्र के पास से शक्ति लाने के लिए विपक्ष को अपनी वास्तविक भूमिका निभानी चाहिए ,कोंगरेश सरकार के केन्द्रीय मंत्री चिदंबरम ने कहा इस समस्या के लिए पूर्व वर्ती सरकारों ने ध्यान नहीं दिया ,उनका सीधा इशारा कांग्रेश के पूर्व के तीनो मुख्य मंत्रियो पर था कड़वा सच भी है बस्तर में नक्सल वादी २० शाल पहले पाव पसार चुके थे क्यों सरकारे खमोश थी ,बस्तर विकाश के नाम पर अरबो खरबों रुपये आये ,,कहा गए ,आज भी बस्तरिया बुनियादी सुविधाओ के लिए तरश रहा है विकाश की बात तो बैमानी है मुझे ये लिखने में कतई संकोच नहीं की .शालो बाद जब तक ये रोग नाशुर बन चूका था डॉ रमण सरकार ने गंभीरता दिखाई छत्तीसगढ़ के तीसरे गृह मंत्री बृज मोहन अग्रवाल ने कुर्शी सम्हालते ही नक्सलियों के खिलाफ जंग का ऐलान किया 'जबकि mp व cg सरकार में छत्तीसगढ़ के दो गृहमंत्री बनाये गए थे' सरकार बनाने के महज ३ माह बाद ही जगदलपुर में ध्वजा रोहण कर डॉ रमण सिंह ने नक्लियो को चुनोती दी थी ,व नक्सली मुक्त बस्तर की कल्पना की ,,उसके बाद लगातार छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद से लड़ रही है डॉ साहब के पास सेना तो है लेकिन प्रधान मंत्री , सेनापति,सेना नायक .... शुभानअल्लाह.......... क्या इनके भरोसे जंग लड़ा जा सकता है प्रदेश का प्रधान मंत्री ,< गृह मंत्री >जो अपने विभाग को नहीं सम्हाल पा रहे,, आये दिन पोलिश विभाग और मंत्री जी के रिश्ते क्या है,,,,, आम आदमी भी शर्मिन्दिंत है तो दूशरा सेनापति <>अपने कविताओ और सिगरेट की चुस्की में मस्त अपने अधीनस्थ सेना नायको के आपसी झगडे निपटा नहीं प़ा रहे है उनसे क्या उम्मीद की जाये कोई सोच नहीं कोई योजना नहीं ,योजना बन जाये तो अमल करने की छमता नहीं ,,,,,बनी हुई पर लंबित योजनाये ,,,,परिवन विभाग से मॉल पानी डकार कर वापस आने वाले पोलिश वालो को बस्तर पदस्थ किया जायेगा ,,कितने बस्तर गए ?,,हर पोलिश वालो को बस्तर में १० शाल गुजारना होगा 5o शाल से काम उम्र के स्वस्थ लोग भेजे जायेंगे सूचि में अधिकांश ४९_५० कुछ बीमार < सुगर ,bp > ,तो कुछ ऐसे जो पहले बस्तर में रहकर नक्सलियों से दुश्मनी ले चुके है ,,हमेशा इनका खुपिया तंत्र फेल रहने के बाद भी मुखबिरी पर हर शाल ५ _६ करोड़ खर्च ,जवानों को सही दिशा निर्देश में कमी ,बस्तर के भौगोलिक स्तिथि व दुश्मन की सही जानकारी पर प्रसिक्षण नहीं ,जवानों को बुनियादी सुविधाए उपलब्ध न करा पाना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

होली

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार होली अच्छाई की बुराई पर ,धर्म की अधर्म पर जीत का पर्व है पौराणिक कथा के अनुसार हिरन्य कश्यपू की बहन होलिका { बुराई } प्रह्लाद {अच्छाई} को मार डालने के लिए आग की चिता पर बैठी, इश्वर की चमत्कार से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई,
इसीलिए दुसरे दिन वहा की प्रजा ने अच्छाई {धर्म}की विजय की ख़ुशी में उत्सव मनाया ,ढोल नगाड़े के साथ गीत संगीत , नृत्य करते हुए एक दुसरे को अबीर, गुलाल ,रंग लगा कर ख़ुशी मनाया उसी के याद में हमारे देश में प्रति वर्ष होली मनाने लगे,जिसकी शुरुवात भगवान कृष्ण ने की थी ,
लेकिन आज होली त्यौहार की परिभाषा आधुनिकता व पाश्चात्य संस्कृति के गिरप्त में बदल गई है लोग बुराई त्यागने के बजाय उस दिन ज्यादा बुराई करते है ,शराब ,गांजा,हफिम ,चरस,भंग ,पीना ,मांश का सेवन करना,, रंग गुलाल के बजाय कीचड़ गंदे बदबू दार आयल का इस्तेमाल करना ऐसे ही विभिन्न बुराई को अपनाते है ,जबकि होली तो प्रेम का त्यौहार है हर आदमी अपने ब्यस्त जिंदगी से साल में एक बार अपने परिवार अपने मित्रो के लिए समय नीकाल कर त्यौहार मनाता है फिर ऐसे महान पर्व को गलत ढंग से मनाना कहा तक उचित है ?
फाग गीत
मोहन खेले होली ,हो मोहन खेले .....................
काखर भीगे चुनरिया चुनरिया चुनरिया
काखर भीगे साडी
काखर भीगे पकुडिया पकुडिया पकुडिया
कौन रंग डाली ........
मोहन .............................................
राधा के भीगे चुनरिया चुनरिया चुनरिया
ललिता के साडी
कान्हा के भीगे पकुडिया पकुडिया पकुडिया
सखी रंग डाली
मोहन खेले ........................

मंत्रलय के गेट नंबर ४ पर ..............

नेताओ के भ्रष्टाचार के किस्से आये दिन सामने आते है
लेकिन अब अधिकारियो के पोल खुलने लगे है नेताओ की तुलना अगर छोटा शाप से की जाती थी तो अधिकारियो की तुलना अजगर एनाकोंडा जैसे शर्फ़ से किया जाने लगा है छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही बड़े बड़े मोटे मोटे शांप बिल से निकलने लगे है ,नेताओ को भ्रष्टाचार की सजा कोर्ट दे या न दे जनता जरुर समझा देती है ,लेकिन इन अधिकारियो को सजा कौन देगा प्रदेश में दर्जनों भ्रष्ट अधिकारी मलाई खाने की मजा ले रहे है लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही करने की हिम्मत सरकारनहीं जुटा पाई विभाग बदल बदल कर भ्रष्टाचार का भर पुर मौका दिया जा रहा है हद तो यहाँ तक हो गई है प्रतिनियुक्ति पर मालदार विभाग से दुसरे मालदार विभाग में सीधे प्रतिनियुक्ति दी जा रही जबकि उनके मूल विभाग में अदिकारियो की कमी है
कल मै मंत्रलय के गेट नंबर ४ पर सूचना के अधिकार तहत आवेदन जमा करने १०) के लिए १००)का चिल्लहर
ढूंढ़ रहा था मुझे इधर उधर भटकते देख पोलिश का जवान पूछा साहब आप क्या ढूंढ़ रहे है मैंने उसको जवाब
दिया १००) का चिल्ल्हर ढूंढ़ रहा हु उसने तपाक से जवाब दिया "भाई साहब ये मंत्रालय है यंहा चिल्लहर नहीं मिलता ,यहाँ तो हजार हजार करोड़ खाने वाले लोग बैठे है "मैंने पूछा किस मंत्री की बात कर रहे हो ,उसने मायूशी से जवाब दिया भाई साहब आप सबको केवल खाखी और खादी ही दिखता है जबकि असली मॉल तो बिच वाले खा रहे है फिर मैंने पूछा यार ये बिच वाले कौन है उसने निर्भीकता से कहा "आई ए एस" वही तो असली मॉल खा रहे है समझने वाली बात है नेता तो बदल जाते है लेकिन ये तो वही टिके रहते है अपने सेवा के दौरान कम से कम ८ सरकार को निपटा सकते है नए नेताओ को भ्रष्टाचार का गुरु मन्त्र इन्ही से मिलता होगा , सरकार का एक छोटा सा नुमायन्दा जब इन अधिकारियो के बारे ये राय ब्यक्त कर सकता है तो..................................................

अंध श्रद्धा

अंध श्रद्धा के नाम पर लोग नेतागिरी की दुकान चला रहे है .जबकि मेरे विचार में तो ये शब्द ही भ्रामक है .श्रद्धा कभी अंधी हो ही नहीं सकती .जब तक आदमी देख नहीं लेता तब तक किसी धार्मिक स्थान, वस्तु,शक्ति ,पुरुष पर भरोसा नहीं करता ,जैसे .कुछ वर्ष पहले किसी एक आदमी ने मूर्ति को दूध पिलाया समाचार प्रसारित हुई कई शहरो में हजारो लोगो ने दूध पिलाया ,ऐसे ही कोई न कोई चमत्कारिक घटनाओ के कारण मंदिरों मूर्तियों पर लोगो का विश्वाश होता है. प्रकृति अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसे चमत्कार करते रहती है
गंगा का जल क्यों ख़राब नहीं होता ,आज के वैज्ञानिक कहते है की जहा से गंगा निकलती है वहा रासायनिक वस्तु है जिसके कारन गंगा जल ख़राब नहीं होता ,लेकिन वहा से तो यमुना सहित कई नदिया निकलती है ,उनका जल क्यों ख़राब होता है ........ दिया ..जहा तक प्रकाशित करता है वहा तक तो सभी को दिखता है उसके बाद की दुनिया क्या है.? जानो ......तो...... माने,
माँ ज्याला की ज्योति हजारो साल से उसी लोउ से प्रज्वलित है ,लाख कोशिश के बाद अकबर भी नहीं बुझा पाया
उज्जैन में कालभैरव रोज सैकड़ो लीटर शराब पि जाते है ................कई मूर्तियों के रंग बदलते है
ऐसे ही कई घटनाये हमारे आसपास हो रही है
ये अलग बात है की कुछ ठग लोगो के कारन समाज दिशा से अलग होने लगती है इनसे सजग रहने की जरुरत है
इसमें भी गलती हमारी हँ,झूठे चमत्कार के चक्कर में फँस जाते है जबकि इतिहाश गवाह है भगवान को पाने के लिए मन्त्र तंत्र आवश्यक नहीं है प्रेम श्रद्धा विश्वाश से भगवान मिलते है सबरी, गिद्ध ,अजामिल ,जटायु सदन कसाई, गणिका ,कुब्जा ,बिना मन्त्र के भगवान को पा लिए
कुछ जादा पा लेने के चक्कर में ऐसी गलतिया कर लेते है जबकि "समय से पहले .किस्मत से जादा कीसी को कुछ नहीं मिल सकता "
अपने इष्ट को प्रशन्न करने वैदिक कार्यो के लिए गुरु का सहारा जरुर लेना चाहिए.. लेकिन उसके लिए भी शाश्त्र निर्देशित करते है की पूरी परीक्षा के बाद ही कीसी का वैदिक रीती से शिष्य बने "गुरु हो तो ..मतंग मुनि जैसा जो खुद तो श्री राम का दर्शन नहीं कर सके लेकिन अपनी शिष्या{ सबरी ] को श्री राम से मिलने लायक बना दिए ,, हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए नेतागिरी करना है तो बहुत सारी कमिया है जैसे हमारे देवी देवताओ के चित्रों का उपयोग उत्पादों को बेचने में किया जा रहा है बाद में वही कागज गन्दी नालियों में पड़े मिलते है ,कभी रावण को दर्द की दवाई के , कही महरानी द्रोपदी को ,कही कीसी अन्य देवी देवताओ को विज्ञापनों में अमर्यादित ढंग से दिखाया जा रहा है इसे रोकने पहल किया जाना चाहिए

राजगीर सम्मलेन






राजगीर सम्मलेन
महगाई भ्रष्टाचार औरधरना
क्या? मंहगाई ,व भ्रष्टाचार का इलाज धरना या महाबंद से हो सकता है; सवाल ये है की ये कर कौन रहा है
एक की सरकार केंद्र में है तो दुसरे की राज्य में
दोनों एक दूसरा पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ने में लगे है, लेकिन आज का आदमी इतना तो समझने लगा है की इसको रोकने के लिए दोनों सरकारों को ईमानदारी से कदम उठाना पड़ेगा 'किसी ने सही कहा है "दुसरे के पाप गिनाने
से अपने पाप कम नहीं हो जाते "एक दूसरा पर आरोप लगाने, के लिए धरना प्रदर्शन महाबंद राजनीती की दुकान चलाने के लिए ठीक हो सकता है लेकिन इससे कोई समाधान की उम्मीद करना बेईमानी होगा ,
भ्रष्टाचार में डूबे भ्रष्ट कार्य पालिका को भी ठीक करना होगा ,लेकिन क्या इसकी उम्मीद उस न्याय पालिका से कंरे
जहा लांखो भ्रष्टाचार के केश न्याय के इंतजार में पहले ही दम तोड़ रही है
अपने अमूल्य मत को एक चेपटी<शराब >में बेचने वाली महान जनता जनार्दन कब जागेगी यह कहना भी आसान
है लेकिन जागना तो पड़ेगा ,