होली

हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार होली अच्छाई की बुराई पर ,धर्म की अधर्म पर जीत का पर्व है पौराणिक कथा के अनुसार हिरन्य कश्यपू की बहन होलिका { बुराई } प्रह्लाद {अच्छाई} को मार डालने के लिए आग की चिता पर बैठी, इश्वर की चमत्कार से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई,
इसीलिए दुसरे दिन वहा की प्रजा ने अच्छाई {धर्म}की विजय की ख़ुशी में उत्सव मनाया ,ढोल नगाड़े के साथ गीत संगीत , नृत्य करते हुए एक दुसरे को अबीर, गुलाल ,रंग लगा कर ख़ुशी मनाया उसी के याद में हमारे देश में प्रति वर्ष होली मनाने लगे,जिसकी शुरुवात भगवान कृष्ण ने की थी ,
लेकिन आज होली त्यौहार की परिभाषा आधुनिकता व पाश्चात्य संस्कृति के गिरप्त में बदल गई है लोग बुराई त्यागने के बजाय उस दिन ज्यादा बुराई करते है ,शराब ,गांजा,हफिम ,चरस,भंग ,पीना ,मांश का सेवन करना,, रंग गुलाल के बजाय कीचड़ गंदे बदबू दार आयल का इस्तेमाल करना ऐसे ही विभिन्न बुराई को अपनाते है ,जबकि होली तो प्रेम का त्यौहार है हर आदमी अपने ब्यस्त जिंदगी से साल में एक बार अपने परिवार अपने मित्रो के लिए समय नीकाल कर त्यौहार मनाता है फिर ऐसे महान पर्व को गलत ढंग से मनाना कहा तक उचित है ?
फाग गीत
मोहन खेले होली ,हो मोहन खेले .....................
काखर भीगे चुनरिया चुनरिया चुनरिया
काखर भीगे साडी
काखर भीगे पकुडिया पकुडिया पकुडिया
कौन रंग डाली ........
मोहन .............................................
राधा के भीगे चुनरिया चुनरिया चुनरिया
ललिता के साडी
कान्हा के भीगे पकुडिया पकुडिया पकुडिया
सखी रंग डाली
मोहन खेले ........................

मंत्रलय के गेट नंबर ४ पर ..............

नेताओ के भ्रष्टाचार के किस्से आये दिन सामने आते है
लेकिन अब अधिकारियो के पोल खुलने लगे है नेताओ की तुलना अगर छोटा शाप से की जाती थी तो अधिकारियो की तुलना अजगर एनाकोंडा जैसे शर्फ़ से किया जाने लगा है छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही बड़े बड़े मोटे मोटे शांप बिल से निकलने लगे है ,नेताओ को भ्रष्टाचार की सजा कोर्ट दे या न दे जनता जरुर समझा देती है ,लेकिन इन अधिकारियो को सजा कौन देगा प्रदेश में दर्जनों भ्रष्ट अधिकारी मलाई खाने की मजा ले रहे है लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही करने की हिम्मत सरकारनहीं जुटा पाई विभाग बदल बदल कर भ्रष्टाचार का भर पुर मौका दिया जा रहा है हद तो यहाँ तक हो गई है प्रतिनियुक्ति पर मालदार विभाग से दुसरे मालदार विभाग में सीधे प्रतिनियुक्ति दी जा रही जबकि उनके मूल विभाग में अदिकारियो की कमी है
कल मै मंत्रलय के गेट नंबर ४ पर सूचना के अधिकार तहत आवेदन जमा करने १०) के लिए १००)का चिल्लहर
ढूंढ़ रहा था मुझे इधर उधर भटकते देख पोलिश का जवान पूछा साहब आप क्या ढूंढ़ रहे है मैंने उसको जवाब
दिया १००) का चिल्ल्हर ढूंढ़ रहा हु उसने तपाक से जवाब दिया "भाई साहब ये मंत्रालय है यंहा चिल्लहर नहीं मिलता ,यहाँ तो हजार हजार करोड़ खाने वाले लोग बैठे है "मैंने पूछा किस मंत्री की बात कर रहे हो ,उसने मायूशी से जवाब दिया भाई साहब आप सबको केवल खाखी और खादी ही दिखता है जबकि असली मॉल तो बिच वाले खा रहे है फिर मैंने पूछा यार ये बिच वाले कौन है उसने निर्भीकता से कहा "आई ए एस" वही तो असली मॉल खा रहे है समझने वाली बात है नेता तो बदल जाते है लेकिन ये तो वही टिके रहते है अपने सेवा के दौरान कम से कम ८ सरकार को निपटा सकते है नए नेताओ को भ्रष्टाचार का गुरु मन्त्र इन्ही से मिलता होगा , सरकार का एक छोटा सा नुमायन्दा जब इन अधिकारियो के बारे ये राय ब्यक्त कर सकता है तो..................................................

अंध श्रद्धा

अंध श्रद्धा के नाम पर लोग नेतागिरी की दुकान चला रहे है .जबकि मेरे विचार में तो ये शब्द ही भ्रामक है .श्रद्धा कभी अंधी हो ही नहीं सकती .जब तक आदमी देख नहीं लेता तब तक किसी धार्मिक स्थान, वस्तु,शक्ति ,पुरुष पर भरोसा नहीं करता ,जैसे .कुछ वर्ष पहले किसी एक आदमी ने मूर्ति को दूध पिलाया समाचार प्रसारित हुई कई शहरो में हजारो लोगो ने दूध पिलाया ,ऐसे ही कोई न कोई चमत्कारिक घटनाओ के कारण मंदिरों मूर्तियों पर लोगो का विश्वाश होता है. प्रकृति अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसे चमत्कार करते रहती है
गंगा का जल क्यों ख़राब नहीं होता ,आज के वैज्ञानिक कहते है की जहा से गंगा निकलती है वहा रासायनिक वस्तु है जिसके कारन गंगा जल ख़राब नहीं होता ,लेकिन वहा से तो यमुना सहित कई नदिया निकलती है ,उनका जल क्यों ख़राब होता है ........ दिया ..जहा तक प्रकाशित करता है वहा तक तो सभी को दिखता है उसके बाद की दुनिया क्या है.? जानो ......तो...... माने,
माँ ज्याला की ज्योति हजारो साल से उसी लोउ से प्रज्वलित है ,लाख कोशिश के बाद अकबर भी नहीं बुझा पाया
उज्जैन में कालभैरव रोज सैकड़ो लीटर शराब पि जाते है ................कई मूर्तियों के रंग बदलते है
ऐसे ही कई घटनाये हमारे आसपास हो रही है
ये अलग बात है की कुछ ठग लोगो के कारन समाज दिशा से अलग होने लगती है इनसे सजग रहने की जरुरत है
इसमें भी गलती हमारी हँ,झूठे चमत्कार के चक्कर में फँस जाते है जबकि इतिहाश गवाह है भगवान को पाने के लिए मन्त्र तंत्र आवश्यक नहीं है प्रेम श्रद्धा विश्वाश से भगवान मिलते है सबरी, गिद्ध ,अजामिल ,जटायु सदन कसाई, गणिका ,कुब्जा ,बिना मन्त्र के भगवान को पा लिए
कुछ जादा पा लेने के चक्कर में ऐसी गलतिया कर लेते है जबकि "समय से पहले .किस्मत से जादा कीसी को कुछ नहीं मिल सकता "
अपने इष्ट को प्रशन्न करने वैदिक कार्यो के लिए गुरु का सहारा जरुर लेना चाहिए.. लेकिन उसके लिए भी शाश्त्र निर्देशित करते है की पूरी परीक्षा के बाद ही कीसी का वैदिक रीती से शिष्य बने "गुरु हो तो ..मतंग मुनि जैसा जो खुद तो श्री राम का दर्शन नहीं कर सके लेकिन अपनी शिष्या{ सबरी ] को श्री राम से मिलने लायक बना दिए ,, हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए नेतागिरी करना है तो बहुत सारी कमिया है जैसे हमारे देवी देवताओ के चित्रों का उपयोग उत्पादों को बेचने में किया जा रहा है बाद में वही कागज गन्दी नालियों में पड़े मिलते है ,कभी रावण को दर्द की दवाई के , कही महरानी द्रोपदी को ,कही कीसी अन्य देवी देवताओ को विज्ञापनों में अमर्यादित ढंग से दिखाया जा रहा है इसे रोकने पहल किया जाना चाहिए